उस रात बस हवाएँ चली थी,
बिना बारिस के,
और रह गया था चाँद सूखा सूखा.
वक़्त जैसे-तैसे सरक रहा था,
बड़ी मशक्कत से,
हौले हौले , केंचुए सा!
बड़ी देर तक देखता रहा मैं,
अपने ख़यालों की छत से,
बूँद बूँद टपकते अंधेरे,
और वो बेज़ार सा ,बिखरा हुआ मोम
जो शायद सह नही पाया था,
लौ की तपिश !
और वो बैठी रही बेफ़िक्र..
मेरे सिरहाने,
के जैसे कोई जल्दी ना हो,
और मालूम हो जिसे
के जो छू दिया मुझको
तो तब्दील हो जाऊँगा रेत के ढेर में!
पर याद है उस रोज़,
अभी वक़्त था भोर होने में,
आसमान ज़रा साफ हो चला था,
और ज्यों ही हाथ बढ़ाया था
मैने उसकी ओर,
तो एक ख़याल सा टकराया था.
की क्या जवाब दूँगा उसे,
जो जो कभी मिलेगा मुझे,
के जिसने ज़िक्र किया था मेरा
और मैं आ पहुचा था,
और यकीन था उसे कि
बड़ी लंबी उमर है मेरी.
उस रोज़ कहा था मैने के,ऐ ख़ुदकुशी!
साँस लेना भी अजीब आदत है,
जाते जाते ही जाती है.
तू आज फिर लौट जा खाली हाथ,
जीने का एक बहाना ,
अभी और बाकी है.
maa kasam.....ultimateeeeeeeeeeeeee.....!!
ReplyDeleteDhanyawaad sir jee! :)
DeleteSuicidal Wisdom u have achieved and you have managed to survive with your Bahana
ReplyDeletewell i can say Genius in the least for this
"Life is a gradual suicide" but we have to find moments for living
Awesome poetry :)
It was due since long. I had found the poetry in suicide almost every time I had gone through this emotion.
DeleteAnd Superlike for : "Life is a gradual suicide but we have to find moments for living".
Thanks for the read bro! :)
This is brilliant! The dramatic suspense. What I thought a quiet somber lover was suicide. Can't write and describe my awe.
ReplyDeleteHave you seen the soul? Yes, now I think I've. :-)
Ha Ha Ha..Whenever I give this idea of killing myself a thought, it tranquillizes me for a moment just like a sombre lover. So this comparison was a personal experience.
DeleteAnd ! Yes ! congratulations !I hope When u admit that u have seen the soul u do not mean "Kareena Kapoor" in Talaash. Probably ! My poem has something to do with it !
Thanks for the read. :)
ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
ReplyDeleteBahut bahut shukriya sanjay shahab! :)
Deletesecond last para is par-excellence...khayalon ki chhat se zindagi ka ye aasmaan bauhat accha laga:)
ReplyDeleteThanks a lot, Saumya ! :)
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