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Showing posts from September, 2015

हेडलाइट

तनहा स्याह राहो में , अक्सर  ऑन कर लेता हूँ, और चलता चला जाता हूँ। कभी कभी उजालों में , बेजरूरत भी, आन रह जाती हो तुम। यु ही कोई देख लेता है, और टोंक देता है , ऑफ कर लेता हूँ झटके से। मेरे बाइक की हेडलाइट, और तेरी खुसनुमा यादें, कित्ती मिलती जुलती हैं न।