कभी कभी आपको नही लगता,
के किन अजीब रस्तों पे
चले जा रहा हूँ,
के कोई बुने जा रहा है ,
मैने सुने जा रहा हूँ,
क्योंकि,
जो तलाश है, वो मंज़िल नही,
जो मंज़िल है वहाँ जाना नही,
जो खो दिया है, उसे खोना ना था.
जो हासिल सा है, उसे पाना नही.
आसमान की तरफ तो देखा होगा,
कभी कभी आपको नही लगता,
के बस ये जमी सरक रही है,
आप रुके से हैं.
Trade mill पे तो चला होगा,
जो एक पाँव आगे निकल जाता है
तो दूजा पीछे,
और हम इसी एहसास से थक जाते हैं
की बड़ी दूर निकल आए.
खैर मुझे यकीन हैं,
आप भी बूझ गये होंगे,
के ज़िंदगी भी
Keyser Söze वाला खेल है,
पर रहने दीजिए,
आप Climax का इंतज़ार कर लीजै!
क्या बात है ... जिंदगी गड़बड़ झाला है ...
ReplyDeleteThank you Sir!
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