देखा है लड़कपन को मैने ,रफ़्तारों से सौदा करते, [साभार youtube]
देखी है आकुलता मैने ,चालिस की आँखों से झरते,
देखी है दृढ़ता भावों मे, देखा है पौरुष का तांडव,
देखी है भागीरथ की क्षमता, देखा है अविचलित मानव,
पर शीश झुकाए निकल पॅडू, जब सीधी समतल राहों पर,
तुम मेरे शिथिल इरादों को, हिम्मत का ना वास्ता देना.
मैं एक "बेईमान शायर" हूँ, मेरे ख़यालों को ना रास्ता देना.
बड़ी पैनी नज़रों से मैने, ढूंढी जीवन की सार्थकता,
कुछ कम मादक सी लगी मुझे ,जाने क्यों मधु की मादकता,
मृग मरीचिका सी लगी मुझे खुशियों की हर एक खोज प्रिय,
भौतिकतावादी दलदल मे ,फँसती धँसती सी सांसारिकता.
किंतु मन मेरा जो उड़ कर, वापिस जा बैठे नोटों पर,
मेरी अपसारित चिंतन को , बुद्धा का ना वास्ता देना,
मैं एक "बेईमान शायर" हूँ, मेरे ख़यालों को ना रास्ता देना.
बड़ा रोचक लगता है मुझको लोगों के जीवन मे तकना,
लोगों की पीड़, प्रयत्नो से अपने अनुभव घट को भरना ,
स्याही मे लिपटे अफ़साने पुलकित कर देते मुझको,
पर्दो पे जब बिछता जीवन आनंदित कर देता मुझको,
लेकिन अपनी यूँ कहानी हो, जिसमे ना अभिरुचि आए,
जब हो ऐसी कभी अभिलाषा, पुष्पों का ना वास्ता देना,
मैं एक "बेईमान शायर" हूँ, मेरे ख़यालों को ना रास्ता देना.
लोगों के स्नेह, समर्पण को आश्चर्य चकित होकर देखा,
निःस्वार्थ प्रेम के दावों को, स्वार्थ ग्रसित होकर देखा,
सबसे अद्भुत पर लगा मुझे, मानव का भक्ति भाव प्रिय,
निराधार व्याख्यानों का "मूरख चित" पर बिखराव प्रिय.
पर जो झुक जाए सर मेरा, जब गुज़रु किसी देवाले से,
मेरे अंतर्मन के भय को, धर्मों का ना वास्ता देना.
मैं एक "बेईमान शायर" हूँ, मेरे ख़यालों को ना रास्ता देना.
P.S. - "मूरख" का इस्तेमाल "चित" क लिए किया गया है, धार्मिक लोगों के समझ-बूझ पर निर्णय लेने का दुस्साहस कतई नही किया गया है !
You are on right line Mr Beiman shayar. Beimani mein kafi sacchai dikh rahi hai. Zindagi ke prati, rishaton ke prati and khud ke prati. Good one.
ReplyDeleteThanks a lot, Sir! :)
Deleteइमानदारी से अपनी बैमानी बता देना भी बैमानी है क्या ...
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है ...
शुक्रिया Sir! :)
Delete"पर शीश झुकाए निकल पॅडू, जब सीधी समतल राहों पर,
ReplyDeleteतुम मेरे शिथिल इरादों को, हिम्मत का ना वास्ता देना.
मैं एक "बेईमान शायर" हूँ, मेरे ख़यालों को ना रास्ता देना"
लेकिन अपनी यूँ कहानी हो, जिसमे ना अभिरुचि आए,
जब हो ऐसी कभी अभिलाषा, पुष्पों का ना वास्ता देना,
मैं एक "बेईमान शायर" हूँ, मेरे ख़यालों को ना रास्ता देना.
-अद्भूत अमित
बहुत बहुत धन्यवाद कप्तान साब! :)
DeleteDhanyawaad ! :)
ReplyDeleteलाख टटोलने पर भी, बेईमानी से अपने ख्याल छुपा लेता हूँ,
ReplyDeleteमैं एक "बेईमान शायर" हूँ, मेरे ख़यालों को ना रास्ता देना....