जब सांझ उफक़ की राहों पर,
अंधियारी का हाथ पकड़,
चल पड़े मगन हौले- हौले,
देने दस्तक चंदा के घर,
जब सूरज आँखे लाल किए,
छुप जाए जाकर दूर कहीं,
ऐ "ग़लती" ! कल फिर आना तुम,
इक लम्हा ख़ास बनाना तुम.
अंधियारी का हाथ पकड़,
चल पड़े मगन हौले- हौले,
देने दस्तक चंदा के घर,
जब सूरज आँखे लाल किए,
छुप जाए जाकर दूर कहीं,
ऐ "ग़लती" ! कल फिर आना तुम,
इक लम्हा ख़ास बनाना तुम.
जब कहता मुझको जग भूला,
यूँ लगता है पा लिया तुझे,
जाने क्यों पल मे पछतावा,
फिर कर देता है दूर तुझे,
जो कुछ पल बीते थे संग संग,
उन लम्हों को दुहराने को,
ऐ "ग़लती" ! कल फिर आना तुम,
इक लम्हा ख़ास बनाना तुम.
शायद ग़लती से कर बैठे,
कुछ काम समझ के हम जग में,
उनके थे हिस्सेदार कई,
बेशक़ तुझपे हक़ मेरा बस,
तेरा ना दावेदार कोई,
कभी मुझपे हक़ जतलाने को,
ऐ "ग़लती" ! कल फिर आना तुम,
इक लम्हा ख़ास बनाना तुम.
"ग़लती" तेरी क्या ग़लती है,
थोड़ी ग़लती तो चलती है,
मैं कर्ता हूँ, तू क्रिया मेरी,
मैं प्रीतम हूँ, तू प्रिया मेरी,
कुछ नाम नही इस रिश्ते का,
बस रिश्ता है, बतलाने को,
ऐ "ग़लती" ! कल फिर आना तुम,
इक लम्हा ख़ास बनाना तुम.
Perfect 10/10. lines :
ReplyDeleteमैं कर्ता हूँ, तू क्रिया मेरी,
मैं प्रीतम हूँ, तू प्रिया मेरी, are the poem stealer!!:)
seriously... Maja aa gaya and "FIR SE" Chha Gaye Guru!! jiya tu patratu ke lala jiya tu hazar sala!!!keep writing!
@Gaurav : Ha ha ..Gangs of wasseypur ka bukhar chadha hua lagta hai! SHukrguzar hai aapke hauslaafzai ke liye! :)
DeleteKamaal ki galtiyaan karte ho yaar,
ReplyDeleteHar baar itna acha kaise likh lete ho yaar? :-)
he he..Thanks bhai! Galtiyon ki aadat hai bhai! :P
DeleteAwesome one and carry on with the mistakes if they result into such beautiful poems.
ReplyDeleteAnd indeed that seems to be the only relationship we have since birth and beyond ....
and we will carry on :P
Awesome start and finish as well :)
Thanks Chandan! Definitely! Whether i like it or not, this relationship will survive the test of time!
Deletewonderful................
ReplyDeleteloved it!!!
anu
Thanks a ton !
DeleteI second chandan...if a mistake results into something this beautiful...they ought to be done :)
ReplyDeleteThanks a lot Saumya!
Deleteखूबसूरत शब्द संयोजन....बेहद प्रभावशाली रचना!
ReplyDeleteThanks Sanjay shahab! :)
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