ये तुम्हारे साथ भी हुआ होगा, कि जेब टटोली होगी तुमने पैंट धोने से पहले, और मुरझाया सा इक नोट मिला होगा. शायद भूल गये थे तुम इसे, जेब मे रखकर महीनो पहले. ये भी कभी हुआ होगा कि राशन दुकान वाले चाचा ने, पकड़ाई होगी Parle G की पैकेट तुम्हारे नन्हे हाथों मे, तो कुछ बड़ा मालूम पड़ा होगा, शायद बेख़बर होगे तुम "१० % एक्सट्रा" वाले ऑफर से. मुमकिन है के ये भी हुआ हो, की किसी शाम जो बढ़े होगे तुम, किसी व्यस्त सिग्नल की तरफ, दिल को दिलासा देते कि बस यही एक एब तो है इस हसीन शहर में. तुझे देख कर ही, हरी हो गयी हो लाल सिग्नल. पर ये रोज़ रोज़ तो नही होता होगा, और ना तुम मायूष होते होगे, के आख़िर आज क्यों ना हुआ ये. जो इत्ता स्याना है तू, तो बस इत्ता बता दे ए दिल, कि आज जो ज़रा तन्हा है तू, तो इतना परेशा क्यों है? आख़िर समझ क्यों नही पाता , कि १० % एक्सट्रा वाले ऑफर रोज़ रोज़ नही होते.