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Showing posts from November, 2014

१० % एक्सट्रा

ये तुम्हारे साथ भी हुआ होगा, कि जेब टटोली होगी  तुमने पैंट धोने से पहले, और मुरझाया सा इक नोट मिला होगा. शायद भूल गये थे तुम इसे, जेब मे रखकर महीनो पहले. ये  भी कभी हुआ होगा कि राशन दुकान वाले चाचा ने,  पकड़ाई होगी Parle G की पैकेट तुम्हारे नन्हे हाथों मे, तो कुछ बड़ा मालूम पड़ा होगा, शायद बेख़बर होगे तुम "१० % एक्सट्रा" वाले ऑफर से. मुमकिन है के ये  भी हुआ हो, की किसी शाम जो बढ़े होगे  तुम, किसी व्यस्त सिग्नल की तरफ, दिल को दिलासा देते कि बस यही एक एब तो  है इस हसीन शहर में. तुझे देख कर ही, हरी हो गयी हो लाल सिग्नल. पर ये रोज़ रोज़ तो नही  होता होगा, और ना तुम मायूष होते होगे, के आख़िर आज क्यों ना हुआ ये.  जो  इत्ता स्याना है तू, तो बस इत्ता बता दे ए दिल, कि आज जो ज़रा तन्हा है तू, तो इतना परेशा क्यों है? आख़िर समझ क्यों नही पाता , कि १० % एक्सट्रा वाले ऑफर  रोज़ रोज़ नही होते.

आरजू

एक सड़क हो लंबी सीधी सी, और दोनों ओर वीराने हो, कुछ चेहरे हो अंजाने से, और भूले-बिसरे गाने हो. एक शाम हो कुछ ऐसी लंबी , के ना तिमिर थके , ना मिहिर थके, एक ऐसे सफ़र की आरजू है हमें !! कुछ दूर चलूं तो दूर कहीं, एक झोपड़ हो सूना सूना, छत से लटकी हो लालटेन, खामोश सा हो कोना कोना, ना पास हो कुछ बेशक़ लेकिन, एक आस रहे , विश्वास रहे. एक ऐसे सफ़र की आरजू है  हमें !! हो भीगी-भीगी सी सड़के , कुछ बूंदे बस संवादी हो, कुछ यादें बासी-बासी हों, खो जाने की आज़ादी हो. कुछ ख्वाहिश हो मद्धम-मद्धम, एक प्यास रहे, आभास रहे. एक ऐसे सफ़र की आरजू है हमें !! एक विहग दिखे ऐसे नभ मे, मानो फिरता मारा-मारा, मेरी तरह पथ भूला सा, मेरी तरह कुछ आवारा!! इतनी शक्ति हो पंखों मे, के ना चाह थामे , ना राह थामे, एक ऐसे सफ़र की आरजू है हमें!!