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Showing posts from November, 2008

आखिरी एहसान

वो जा रही थी , अलविदा कह कर मेरे सुमधुर सपनों को , मेरे प्राणप्रिय अपनों को , गुनगुनाये कुछ गीतों को, कुछ अधूरे से गज़लों को, कुछ अनजाने ठहरावों को , कुछ अजनबी मज़िलों को, कुछ जवाँ सी ख्वाहिसों को , कुछ बचकानी फरमाइशों को , मेरे अस्त होते अस्तित्व को , मेरे धुंधले से व्यतित्व को , वो आज छोड़ कर जा रही थी .. आखिरकार मैंने आवाज लगा ही दी , ए निष्ठुर !!! जरा खता तो बताती जा ? वो जाते जाते ठहर गयी , मुड़कर मेरे करीब आई और कहने लगी :: तू हर रोज़ एक ख्वाहिश करता रहा , और मैं हर पल उसे पूरी करने की कोशिश!!!! कुछ कोशिशे हकीकत में बदलती रही, और हर हकीकत एक फरमाइश जनती रही.. आज भी शिकायत ये नहीं , की तूने ख्वाहिसें करता रहा , शिकायत ये है की तू मुझसे बस शिकायते ही करता रहा !! भला क्यों बनी फिरती रहूँ वन वन, बन बन तेरी परछाई?? जब कभी लम्हे भर की खातिर भी,तुझे मरी कद्र ना आई?? अभी इन सच्चाई की गहराइयों से उसके करीब आ ही पाता, कि वो मुझपर आखिरी एहसान कर, कहीं दूर निकल चुकी थी ...

वज़ह

अक्सर ज़िन्दगी मुझसे एक वजह की ख्वाहिस करती थी और आज ना जाने कहाँ से वो सामने आ गयी!!!! उसी पल मैंने खुदा से उसी कि शिकायत की ; कि ऐ खुदा !!!तू तो ख्वाब चुराता है?? डिजाईन किसी और का,कॉपी राईट तू कराता है?? खुदा ने कहा,बन्दे !!!! क्या लगा तुझे वो तुजसे मिलने आई है??? ये खूबसूरत बला तेरे सपनो कि परछाई है??? होश में आ$$$$,आखें खोल!!! ज़िन्दगी के सवाल की गहराई में झाँक ज़रा तुझे जवाब की इक किरण नज़र आएगी | इस बला को कहाँ कहाँ खोजेगा तू?? तू बस उस वज़ह कि तलाश करता रह, जिदगी को वज़ह खुदबखुद मिल जायेगी |