कल को कल देखेंगे , चलो आज को निपटाते हैं, वक़्त के इरादों को कहाँ देखा है हमने , चलो इस पल में ही जी जाते हैं... कल जो आज के लिए सोचा था हमने, आज वो हम बिलकुल नहीं हैं .. फिर कल के लिए सपने संजोते , आज बिताना कितना सही है?? आज जो मिठास है इन खवाबो में, कल करवाहट बन जायेगी .. ये मजे देती अनकही ख्वाहिशे , कल अतीत की टीस बन जायेगी .. फिर क्यों इन लम्हों की जवानी को उस कल पर कुर्बान करते हैं , जो "कल " अपनी ही जुबां से , अपनी बेवफाई का एलान करते हैं ...