अतीत की लकीरों से उभरती हुई, इक हसीं सी तस्वीर में सिमटी हुई , जब मिलती है वो मुझसे, जैसे दूर कहीं समंदर में , नज़र आये एक धुंधली कसती , वक़्त के पैमानों में , जैसे पुराने शराब की मस्ती , दिल में एक मीठी सी आहट, बेचैन लम्हों में एक अजीब सी राहत , उजाले में कहीं गम हो जाने का एहसास , अजनबी चेहरों में किसी खास की तलाश , जैसे करवाते बदलती लम्हों की वीरानियाँ ! वो शरारतों भरी बचपन की कहानियाँ , वो चटपटे दर्द के भारी भरकम पल, गलतियों के बीच छटपटाते बीते कल, खुद से दूर महसूस होती है वर्तमान की परछाई, नहीं पहचाना ?? "मेरी हसीं तन्हाई" ..............