तनहा स्याह राहो में , अक्सर ऑन कर लेता हूँ, और चलता चला जाता हूँ। कभी कभी उजालों में , बेजरूरत भी, आन रह जाती हो तुम। यु ही कोई देख लेता है, और टोंक देता है , ऑफ कर लेता हूँ झटके से। मेरे बाइक की हेडलाइट, और तेरी खुसनुमा यादें, कित्ती मिलती जुलती हैं न।